थाई मांगुर मछली का पालन, विक्रय, आयात, निर्यात एवं स्टॉक करने वाले मत्स्य पालकों पर होगी कडी कार्यवाही : जिलाधिकारी अखिलेश सिंह
सहारनपुर : थाई मांगुर मछली का पालन, विक्रय, आयात, निर्यात एवं स्टॉक करने वाले मत्स्य पालकों पर होगी कडी कार्यवाही : जिलाधिकारी अखिलेश सिंह
पर्यावरण एवं जन स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक होने से थाई मांगुर मछली की प्रजाति है प्रतिबंधित
✍रिर्पोट :- गौरव सिंघल,ब्यूरो चीफ-न्यूज एवीपी,जनपद सहारनपुर, उप्र:।
सहारनपुर (न्यूज एवीपी ब्यूरो)। जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने कहा कि थाई मांगुर मछली की प्रजाति का पालन देश के सभी राज्यों में पूर्णतया प्रतिबंधित है। उन्होने कहा कि माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने पर्यावरण की दृष्टि से इसको प्रतिबंधित किया है। उन्होने समस्त उप जिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि थाई मांगुर मछली का पालन मत्स्य बीज आयात/संचयन, मछली का परिवहन एवं इनको खिलाये जाने वाले स्लोटर हाउस के मांस के अवशेष/अपशिष्ट की आपूर्ति को पूर्णतया रोकने के लिए अपनी-अपनी तहसील क्षेत्र में मत्स्य विभाग के कर्मचारियों/लेखपालों के माध्यम से प्रतिबंधित थाई मांगुर पाल रहे मत्स्य पालकों का चिन्हांकन कर उनको नोटिस निर्गत करके तत्काल प्रतिबंधित प्रजाति की मछलियों के पालन, विक्रय, आयात, निर्यात अथवा स्टॉक की उपलब्ध होने अथवा संज्ञान में आने पर नियमानुसार मत्स्य विभाग के अधिकारियों एवं आवश्यक पुलिस बल के साथ टीम गठित कर प्रतिबंधित बछलियों एवं मत्स्य बीज के विनिष्टीकरण की कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। उन्होने कहा कि चिन्हित किये गये मत्स्य पालकों एवं विक्रेताओं की सूची एवं आपके द्वारा की गयी कार्यवाही की सूचना से अवगत कराना सुनिश्चित किया जाए। डीएम अखिलेश सिंह ने कहा कि यह मछलियां मांसाहारी प्रवृत्ति की होने के कारण इनके पालने से स्थानीय मत्स्य संपदा को क्षति पंहुचाने के साथ-साथ जलीय पर्यावरण को असंतुलन एवं जनस्वास्थ्य को खतरा होने की संभावना बनी रहती है, साथ ही उक्त प्रजातियों की मछलियों का सडा-गला मांस खिलाने से आस- पास का वातावरण भी प्रदूषित होता है।