याद तुम्हारी आई अब मैं स्मृतियों में खो गई हूं

याद तुम्हारी आई अब
मैं स्मृतियों में खो गई हूं
आती थी जब दर तुम्हारे
सम कंवल तुम खिल जाते थे
भाव तुम्हारे मुखड़े का पढ़
मैं उल्लासित हो जाती हूं
याद तुम्हारी।।।।।।।।। ।।।
हाथ तुम्हारा सिर पर था जब
लगती आशीर्वाद की झाड़ियां
दुलार के अहसास में खो
मैं हिम्मत से भर जाती थी
याद तुम्हारी। ।।।।।।।।।।।।
खो गया बगिया से माली
मुरझा गए सभी सुमन यहां
टूटी डाली सूखे पत्ते न उड़ा मकरंद
असुंगधित बगिया हो गई हूं
याद तुम्हारी।।।।।।।।।।।
था समय वो क्रूर दुष्टर
आज वो दिन आ गया है
याद तुम्हारी फिर से आई
मैं पीड़ामई हो गई हूं
याद तुम्हारी।।।।।।।।।।
किंतु अब भी अहसास है हमको
यहीं कहीं तुम्पास हमारे
सूक्ष्म सरंक्षण पा तुम्हारा
मैं प्रेरणामय हो गई हूं
याद तुम्हारी।।।।।।।।।