मातृ पितृ सम स्नेह तुम्हारा
मातृ पितृ सम स्नेह तुम्हारा
छांव तुम्ही तरुवर की थे
सागर सम गंभीर भी थे
अनुभव का भंडार भी थे
जीवन में सपनो के रंग भर
तुम्ही तो वो चित्रकार भी थे
दिन ऐसा फिर आया है
तुम्हे छीन हमसे ले गया
मातृ पितृ सम स्नेह तुम्हारा
छांव तुम्ही तरुवर की थे
सागर सम गंभीर भी थे
अनुभव का भंडार भी थे
जीवन में सपनो के रंग भर
तुम्ही तो वो चित्रकार भी थे
दिन ऐसा फिर आया है
तुम्हे छीन हमसे ले गया