रबी फसलों की कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई फसल के लिए अनेक प्रकार से लाभकारी

सहारनपुर : रबी फसलों की कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई फसल के लिए अनेक प्रकार से लाभकारी

 

 

✍रिर्पोट :- गौरव सिंघल,जिला प्रभारी- न्यूज एवीपी,जनपद सहारनपुर, उप्र:।

 

सहारनपुर (न्यूज एवीपी ब्यूरो)। परम्परागत कृषि विधियों यथा लाइनों में बुआई फसल चक्र, सहफसली खेती, ग्रीष्म कालीन जुताई आदि कम लागत में गुणवत्ता युक्त उत्पादन प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है। ग्रीष्म कालीन जुताई के लिए यह समय उपयुक्त है। कीट/रोग नियंत्रण की आधुनिक विधा एकीकृत कीटनाशी जीव प्रबन्धन आई0पी0एम0 के अन्तर्गत भी ग्रीष्म कालीन जुताई को अपनाने पर बल दिया जाता है। रबी फसलों की कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई फसल के लिए अनेक प्रकार से लाभकारी है। जिला कृषि रक्षा अधिकारी शिप्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि गर्मी को गहरी जुताई के उपरान्त मृदा में पाये जाने वाले भूमि जनित रोगों के जीवाणु कवक, कीट, अण्डे, लार्वा नीमेटोड आदि सूर्य के प्रकाश में नष्ट हो जाते है। खेत में उगे हुए खरपतवार एवं फसल अवशेष मिट्टी में दब कर सड जाते है। जिससे मृदा में जीवांश की मात्रा बढती है। खेत की कठोर परत को तोडकर मृदा की जडों के विकास के लिए अनुकूल बनाने हेतु ग्रीष्म कालीन जुताई अत्याधिक लाभकारी है। ग्रीष्म कालीन जुताई करने से मृदा की संरचना में सुधार होता है। जिससे मृदा की जलधारण क्षमता बढती है जो फसलों के बढवार के लिए उपयोगी है। मृदा में वायु संचार बढ जाता है जो लाभकारी सूक्ष्म जीवो के वृद्धि एवं विकास में सहायक होता है। मृदा में वायु संचार बढने से खरपतवार नाशी एवं कीटनाशी रसायनों के विषाक्त अवशेष एवं पूर्ण फसल की जडों द्वारा छोडे गये हानिकारक रसायनों के अपघटन में सहायक होती है। श्रीमती शिप्रा ने कहा कि कृषक भाई फसल बुवाई के 15 दिन पूर्व गोबर की अच्छी प्रकार से सडी हुई खाद का बुरकाव करने के बाद खेत की जुताई कर दें। सडी हुई गोबर की खाद का प्रयोग करने से खेत में फसल को पोषक तत्वों की पूर्ति के साथ ही फसल में कीट/रोगों एवं खरपतवारो का कम प्रयोग रहता है। साथ ही कीट/रोगों के नियंत्रण हेतु बीज शोधन एवं भूमि शोधन अवश्य करें। फसल के बीजों का बोने से पूर्व बीज शोधन के लिए 2 ग्राम कार्बनडाजिम अथवा 2.5 ग्राम थीरम अथवा 4-5 ग्राम ट्राईकोडर्मा हारजियेनम प्रति किग्रा0 बीज की दर से शोधित कर बुआई करें। भूमि शोधन के लिए 2.5 किग्रा0 ब्यूवेरिया बेसियाना तथा 2.5 किग्रा0 ट्राईकोडर्मा को 60-65 किग्रा0 गोबर की खाद में मिलाकर किसी छायादार स्थान के नीचे भीगे हुए टाट के बोरे से ढककर प्रतिदिन थोडा-थोडा पानी नमी बनाये रखने हेतु छिडकते हुए दस दिन बाद गोबर को भूमि में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से भूमि शोधन करें। अधिक जानकारी के लिए जिला कृषि रक्षा अधिकारी के कार्यालय में सम्पर्क कर सकते है।