आपदाओं की पूर्व चेतावनियों के लिए आम जनमानस दामिनी ऐप डाउनलोड करे

सहारनपुर : आपदाओं की पूर्व चेतावनियों के लिए आम जनमानस दामिनी ऐप डाउनलोड करे

ग्राम प्रधान, लेखपाल, आंगनवाडी कार्यकत्री, आशा, पुलिस कर्मी भी दामिनी ऐप डाउनलोड करें

 

✍रिर्पोट :- गौरव सिंघल,जिला प्रभारी- न्यूज एवीपी,जनपद सहारनपुर, उप्र:।

 

सहारनपुर (न्यूज एवीपी ब्यूरो)। जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने बताया कि अधिसूचित आपदाओं की पूर्व चेतावनियों/अलर्ट को आम जनमानस तक समय से पंहुचाकर प्रदेश में आपदा से होने वाली जनहानि के न्यूनीकरण हेतु इन्टीग्रेटेड अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित किया गया है। इन्टीग्रेटेड अर्ल वार्निंग सिस्टम, मौसम विभाग द्वारा जारी अलर्ट/डाटा को फेच करके राहत आयुक्त कार्यालय की वेबसाइट पर रजिस्टर्ड पूर्व एवं नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों, लेखपालों, आंगनवाडी कार्यकत्री, आशा, पुलिसकर्मियों एवं लगभग 1.20 करोड कृषकों को बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के रियलटाइम में प्रेषित करता है। इन्टीग्रटेड अर्ली वार्निंग सिस्टम के माध्यम से किसी संभावित आपदा/खराब मौसम का अलर्ट मात्र उन्हीं लोगों को प्राप्त होता है जिनका मोबाइल नम्बर राहत आयुक्त कार्यालय की वेबसाइट पर रजिस्टर्ड है। परन्तु प्रदेश में प्रतिवर्ष वज्रपात से होने वाली क्षतियों के दृष्टिगत ऐसी व्यवस्था की आवश्यकता है, जिसकी पंहुच आम जनमानस तक आसानी से हों। इस संबंध में उल्लेख करना है कि भूविज्ञान मंत्रालय एवं भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान पुने के सहयोग से विशेष रूप से वज्रपात की पूर्व चेतावनी/अलर्ट प्रेषित किये जाने हेतु “दामिनी ऐप” विकसित किया गया है। इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। दामिनी ऐप लगभग 20 किमी0 के क्षेत्र में संभावित लाइटनिंग अलर्ट का नोटिफिकेशन लगभग 04 घण्टे पूर्व प्रेषित करता है जिससे व्यक्तियों को सुरक्षित स्थान पर पंहुचने तथा बचाव का अवसर प्राप्त हो सकेगा। जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि दामिनी ऐप को अपने अधीनस्थ संबंधित अधिकारियों, कर्मचारियों के माध्यम से समस्त ग्राम प्रधानों, लेखपालों, आंगनवाडी कार्यकत्री, आशा, पुलिस कर्मियों को डाउनलोड करवाना सुनिश्चित किया जाए तथा उनका यह दायित्व निर्धारित करें कि वे आम जनमानस को भी दामिनी ऐप डाउनलोड करने के लिये जागरूक करें, जिससे व्रजपात की पूर्व चेतावनी/अलर्ट अधिक से अधिक लोगों तक पंहुच सकें तथा वज्रपात से होने वाली क्षतियों को कम किया जा सके।