एसएनए स्थापना दिवस पर गूंजेगे कौशिकी चक्रवर्ती के कंठ स्वर संगीत नाटक अकादमी का स्थापना दिवस 20 नवम्बर को
लखनऊ ब्यूरो मुकेश गुप्ता
एसएनए स्थापना दिवस पर गूंजेगे कौशिकी चक्रवर्ती के कंठ स्वर
संगीत नाटक अकादमी का स्थापना दिवस 20 नवम्बर को
लखनऊ 17 नवम्बर । संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के संगीत नाटक अकादमी का स्थापना दिवस 20 नवम्बर को है। इस अवसर पर अकादमी की ओर से परंपरा के अनुसार ‘‘धरोहर” सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन गोमती नगर स्थित, अकादमी परिसर के संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में किया जा रहा है। शाम छह बजे होने वाले इस यादगार कार्यक्रम में कोलकाता से पटियाला घराने की विदुषी कौशिकी चक्रवर्ती को आमंत्रित किया गया है।
गोमती नगर स्थित पर्यटन भवन में शुक्रवार 17 नवम्बर को आयोजित प्रेसवार्ता में संस्कृति एवं पर्यटन के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने समारोह का पोस्टर जारी किया। इस अवसर पर समारोह का विवरण देते हुए आमंत्रित संवाददाताओं को अकादमी के निदेशक डॉ.शोभित कुमार नाहर ने बताया कि ख्याल से लेकर ठुमरी तक को प्रभावी रूप से पेश करने वाली लोकप्रिय शास्त्रीय और उपशास्त्रीय गायिका कौशिकी चक्रवर्ती, हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक, पद्मभूषण पंडित अजॉय चक्रवर्ती की बेटी हैं। साल 2020 में नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित कौशिकी चक्रवर्ती की सांस्कृतिक संध्या के प्रवेश टिकट को बुक माई शो के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
संस्कृति एवं पर्यटन के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने संवाददाता सम्मेलन में संस्कृति विभाग की विभिन्न आगामी योजनाओं की जानकारी विस्तार से दी। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की आगामी प्रस्तुति हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के राग आधारित उपचार पर केन्द्रित व्याख्यान होगा। उसमें इसके प्रतिष्ठित शोधकर्ता को आमंत्रित किया जाएगा। उनके अनुसार राग आधारित संगीत से ध्यान और स्मरण शक्ति भी बेहतर होती है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न जिलों में स्पिक मैके सहित अन्य संस्थाओं के सहयोग से युवाओं तक भारतीय संगीत को पहुंचाया जाएगा। इसमें प्रदेश के विभिन्न जिलों के स्थानीय संगीत विद्यालय, विश्वविद्यालय और अन्य विद्यालयों को भी शामिल किया जाएगा। इसका उद्देश्य संस्कृति की निरंतरता को बनाए रखना है। उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से गोरखपुर, प्रयागराज, मेरठ, बरेली, आगरा, वाराणसी जैसे शहरों को इस अभियान से जोड़ा जा रहा है। अकादमी सहित अन्य संस्कृति संस्थानों की आय सृजन के स्रोत बढ़ाने की दिशा में भी कार्य भी किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अकादमी के तीन लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं। उसके अनुसार शैक्षिणिक कार्य, वर्तमान संस्कृति का अभिलेखीकरण और प्रदेश स्तर पर प्रस्तुतियां करना हैं। भारतेन्दु नाट्य अकादमी के संदर्भ में उन्होंने जानकारी दी कि दशकों के बाद वहां रंगमंडल का गठन कर दिया गया है। जल्द ही उन्हें बस वाहन की सुविधा भी दी जाएगी जिससे वह प्रदेश भर में नाट्य प्रस्तुतियां करवायी जा सकें। उन्होंने बताया कि उनका प्रयास है कि पूरे प्रदेश के विभिन्न जनपदों में महोत्सव आयोजित किया जाएं। इस दिशा में बलिया महोत्सव, फिरोजाबाद महोत्सव, आजमगढ़ महोत्सव सफलता पूर्वक करवाए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि राजकीय संगीत महाविद्यालय के भवन का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान भी शुरू होने जा रहे हैं। इससे शोधकार्य को प्रोत्साहन मिलेगा।