स्थानीय सनातन धर्म महाविद्यालय में प्रज्ञा प्रवाह मुज़फ़्फ़रनगर इकाई एवं सनातन धर्म महाविद्यालय मुजफ्फरनगर के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

आज दिनांक 9 नवंबर 2022 को स्थानीय सनातन धर्म महाविद्यालय में प्रज्ञा प्रवाह मुज़फ़्फ़रनगर इकाई एवं सनातन धर्म महाविद्यालय मुजफ्फरनगर के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

वैचारिक गुलामी से भारत की मुक्तता विषय पर व्याख्यान का आयोजन महाविद्यालय के सरस्वती सभागार में हुआ। व्याख्यान में मुख्य वक्ता प्रोफेसर सदानंद दामोदर सप्रे, पूर्व प्राध्यापक एन आई टी भोपाल एवं केंद्रीय टोली सदस्य प्रज्ञा प्रवाह रहे।

कार्यक्रम के संरक्षक अखिलेश दत्त, सचिव प्रबंध समिति, सनातन धर्म महाविद्यालय एवं अध्यक्षता प्रोफेसर सुधीर पुंडीर प्राचार्य सनातन धर्म महाविद्यालय तथा भगवती प्रसाद राघव केंद्रीय टोली सदस्य, क्षेत्रीय संयोजक पश्चिमी उत्तर प्रदेश उत्तराखंड प्रज्ञा का सानिध्य प्राप्त हुआ। कार्यक्रम का प्रारंभ मॉं सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन कर एवं माल्यार्पण कर किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रोफेसर सदानंद दामोदर सप्रे ने कहा की भारत यूं तो 1947 में आजाद हो गया था परंतु भारतीय नागरिकों के मन पर अभी तक भी गुलामी की काली छाया विद्यमान है भारतीय जनमानस अभी गुलामी की मानसिकता से अपने को मुक्त नहीं कर पाया है जब तक भारत अपने को इस गुलामी की मानसिकता से मुक्त नहीं करेगा तब तक वह विश्व गुरु नहीं बन सकता और ना ही विश्व का नेतृत्व कर सकता है भारत बहुत प्राचीन देश है, अत्यंत समृद्धशाली राष्ट्र रहा है इसलिए इस पर पूरी दुनिया की नजर रही, हर कोई इसकी ेंउतपककीजं को संपन्नता को लूटने चाहता था इसलिए उसने भारत पर आक्रमण किया और भारत को लूटने के साथ-साथ अपने गुलामी का निशान भी वे आक्रांता छोड़ते चले गए। भारत को बाहरी क्रांति के अपेक्षा आंतरिक क्रांति से इस वैचारिक गुलामी से आजाद होना पड़ेगा अपने धर्म सभ्यता संस्कार वह इतिहास के गौरवशाली क्षणों को पुनर्स्थापित करना पड़ेगा, वैदिक ज्ञान वामपंथियों और अंग्रेजों की नीति के कारण हम अपने वैचारिक अधिष्ठान से विस्मृति हो गए हैं गुलामी के अंधकार ने हमारी संस्कृति, धर्म और सभ्यता के गौरव को लगभग नष्ट कर दिया। अतः शिक्षा के माध्यम से हमारी संस्कृति और गौरवपूर्ण इतिहास को पुनर्स्थापित करना अति आवश्यक है।

 

स्वामी विवेकानंद के उद्घोष भारत जागो-विश्व को जगाओ को आगे बढ़ाकर पूरे विश्व में अध्यात्म का परचम लहराना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने कहा भारत को वैचारिक रूप से एक होकर गुलामी के कालचक्र से मुक्ति प्राप्त करनी होगी तभी हम सही अर्थों में अपने को स्वतंत्र कर सकेंगे और यदि हम वैचारिक गुलामी से स्वतंत्र नहीं हुए तो हम भारत को और बेहतर बनाने की आशा कैसे कर सकते हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर रजनीश गौतम सह-मंडल संयोजक, सहारनपुर मंडल ने किया कार्यक्रम में मुख्य रूप से मुजफ्फरनगर नगर के शैक्षिक सामाजिक, राजनीतिक, जगत के बुद्धिजीवी आमंत्रित किए गए जिन्होंने इस व्याख्यान के बाद आज इस वैचारिक आंदोलन की आवश्यकता के महत्व को समझा और इसे आगे बढ़ाने के लिए और अधिक कार्य करने पर बल दिया उपस्थित गणमान्य बुद्धिजीवियों में प्रज्ञा प्रवाह की जिला संयोजिक प्रो0 नीतू वशिष्ठ, हस्तिनापुर संदेश पत्रिका की कार्यकारी सम्पादक डॉ0 वन्दना वर्मा, आयोजन सह-सचिव डॉ0 नितिन सिंह, डॉ0 पारूल जैन, डॉ0 पंकज वशिष्ठ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता एवं प्रज्ञा प्रवाह के सह प्रांत विधि संयोजक नीरज शर्मा, पूर्व प्राचार्य सनातन धर्म महाविद्यालय श्री एस0सी0 वार्ष्णेय, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व प्रांतीय अध्यक्ष एवं पूर्व प्राचार्य डॉक्टर सूर्य प्रकाश अग्रवाल, संरक्षक मंडल में रहे पूर्व सांसद सोहनवीर सिंह पूर्व विधायक अशोक कंसल, जिला अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी विजय शुक्ला, राजीव गर्ग, जिला मंत्री सुधीर खटीक, श्री मोहन तायल, पूर्व मंत्री सुधीर बालियान, भूदेव सिंह, कांति राठी, वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक डॉक्टर आर0 एन0 त्यागी ,वरिष्ठ पत्रकार अतुल शर्मा वाटिका के चेयरमैन पवन छाबड़ा, जिला संगठन मंत्री अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सत्येंद्र, विभाग संगठन मंत्री विश्व हिंदू परिषद अनूप कुमार, प्रमोद कुमार अट्टा, डॉक्टर जितेंद्र तेवतिया, संजय अग्रवाल ,संजय मुंडभर सहित सैकड़ो की संख्या में बुद्धिजीवी उपस्थित रहे