मुक्त हास से गूंजा वायुसेना का आसमान, एयर बेस से मोक्षायतन का योग दिवस हुआ शुरू

सहारनपुर : मुक्त हास से गूंजा वायुसेना का आसमान, एयर बेस से मोक्षायतन का योग दिवस हुआ शुरू

✍रिर्पोट :- गौरव सिंघल,ब्यूरो-न्यूज एवीपी,जनपद सहारनपुर, उप्र:।

सहारनपुर (न्यूज एवीपी ब्यूरो)। योग दिवस से सौ दिन पहले ही 21 जून तक निरंतर चलने वाली कार्यक्रम श्रृंखला की शुरुआत योग उत्सव से करने के बाद निकट आते अंतरर्राष्ट्रीय योग दिवस के मद्देनजर मोक्षायतन योग संस्थान ने अपने सघन अभियान एक माह योग राह के अंतर्गत एयरफोर्स के सरसावा एयरबेस पर वायु वीरों के लिए विशेष योग प्रशिक्षण की शुरुआत की। एयर कमांडर मनीष सिंह ने बताया कि योग ऐसी विद्या है जो विषम परिस्थितियों में भी सहज बने रहने की कला सिखाती है शायद इसीलिए वायुसेना के लिए योग के महत्व को पहचानते हुए योग दिवस से पूर्व कम से कम तीन दिन योग प्रशिक्षण के लिए देने का कार्यक्रम रखा गया है। उन्होंने गर्व से याद किया कि सरसावा एयरबेस को पिछले कई सालों से योगगुरु स्वामी भारत भूषण के नेतृत्व में देश और दुनिया में योग और अध्यात्म के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखने वाले मोक्षायतन योग संस्थान का निरंतर प्रशिक्षण सहयोग मिलता आ रहा है। उन्होंने वायुवीरों को बताया कि 30 मई को गुरु पद्मश्री स्वामी भारत भूषण से सीधे अनुभव साझा करने का अवसर वायुसेना अधिकारियों, वायुवीरो और परिवारों को मिलेगा। वायुसेना के त्रिदिवसीय योग प्रशिक्षण की शुरुआत मोक्षायतन संस्थान की योगाचार्या अनिता शर्मा व योग डिमॉन्स्ट्रेटर साधक हर्ष सिंह ने संस्थान के सचिव नंद किशोर शर्मा के नेतृत्व में किया। आचार्या अनीता शर्मा ने योग प्रोटोकॉल की क्रियाओं का अभ्यास वैज्ञानिक विवेचन के साथ कराते हुए बताया कि भारतीय सेना के लिए योग प्रशिक्षण की शुरुआत सबसे पहले 1994 में इसी आधार पर की थी कि दुनिया का सबसे प्रसिद्ध योग उपदेश महाभारत की युद्ध भूमि में योगेश्वर श्रीकृष्ण ने युद्ध से विमुख और निराश हो चुके योद्धा अर्जुन के माध्यम से दिया गया था। उन्होंने फिटनेस, स्टेमिना और प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने वाली योगिक क्रियाओं के साथ साथ एकाग्रता बढ़ाने और तनावमुक्त रहने के लिए ध्यान का अभ्यास भी कराया। इस योगप्रशिक्षण में स्टेशन एयर कमांडर मनीष सिंह के अलावा वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों व बड़ी संख्या में वायुकर्मियों ने भाग लिया। संस्थान सचिव नंदकिशोर शर्मा व योगाचार्यां अनीता शर्मा ने ध्यान के अभ्यास के बाद इसे आनंद का सर्वोच्च साधन बताते हुए हास को आनंद का प्रकट रूप बताया और जब सैंकड़ों वायु वीरों ने बाहें फैलाकर मुक्त हास किया तो वायु सेना का आसमान हंसी के फव्वारों से गूंज उठा।