अच्छे गुणवान बच्चे ही माता-पिता और राष्ट्र का धन होते हैं। वैदिक संस्कारों से बच्चे गुणवान, पवित्र, सत्यवादी ,ईमानदार और देशभक्त बनते हैं

अच्छे गुणवान बच्चे ही माता-पिता और राष्ट्र का धन होते हैं। वैदिक संस्कारों से बच्चे गुणवान, पवित्र, सत्यवादी ,ईमानदार और देशभक्त बनते हैं। उक्त विचार ग्रीनलैंड मॉडर्न जूनियर हाई स्कूल मुजफ्फरनगर में चल रहे किशोर बालक एवं बालिका योग संस्कार शिविर में योगाचार्य सुरेंद्र पाल सिंह आर्य ने व्यक्त किये।

उन्होंने बताया कि बालकों को बचपन से ही अच्छे विचार, अच्छे संस्कार, योग विद्या और वैदिक विचारों से अवगत कराना चाहिए। ताकि बच्चे बड़े होकर सदाचारी, गुणवान और राष्ट्रभक्त बनकर एक अच्छे समाज और राष्ट्र का निर्माण कर सके। आज बच्चों को अष्टांग योग के प्रथम अंग यम के विषय में विस्तार से बताया। अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य ,अपरिग्रह ये पांच यम होते हैं। अहिंसा का अर्थ है मन, वचन और कर्म से बिना कारण किसी को भी हानि न पहुंचाना। जैसा आंखों से देखा कानों से सुना उसका वैसा ही वर्णन करना सत्य कहलाता है । सत्य बोलना ही ईश्वर की भक्ति है । सत्य बोलने वाले का उसके विपक्षी भी विश्वास करते हैं और झूठ बोलने वाले का स्वयं उसके परिवार वाले भी विश्वास नहीं करते । एक झूठ को छिपाने के लिए व्यक्ति को 10 झूठ बोलने पड़ते हैं जो तनाव और रोगी होने का मुख्य कारण है।

अस्तेय का अर्थ है चोरी ना करना। ब्रह्मचर्य का अर्थ है अपनी इंद्रियों को संयम में रखना और ईश्वर के गुण, कर्म और स्वभाव को अपने जीवन में उतरना। अपरिग्रह का अर्थ है आवश्यकता से अधिक धन संग्रह न करना। भारतीय परंपरा रही है कि हे ईश्वर मुझे इतना धन-धान्य दीजिए कि मैं भी भूखा ना रहूं और अतिथि भी भूखा ना जाए । यदि सभी लोग यम का पालन करने लग जाए तो निश्चित रूप से एक सभ्य ,

सुसंस्कृत और शांतिप्रिय समाज की स्थापना हो सकती है। इस अवसर पर नगर के विभिन्न क्षेत्रों से विभिन्न स्कूलों के सैकड़ो बच्चे हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी किशोर बालक एवं बालिका योग संस्कार शिविर में नियमित रूप से भाग लेकर अपने जीवन को अच्छा ,पवित्र और संस्कारवान बनाने में प्रयासरत है।शिविर प्रातः 7:00 बजे से 8:30 बजे तक 30 जून तक चलेगा।