वनाग्नि को रोककर जैव विविधता को बनाए रखना एक चुनौती: प्रो प्रवीण बिष्ट

वनाग्नि को रोककर जैव विविधता को बनाए रखना एक चुनौती: प्रो प्रवीण बिष्ट

फारेस्ट फायरः बायोडायवर्सिटी एज ए विक्टिम एंड ए वे आउट पर हुईं सेमिनार

अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के वानिकी एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग, जंतु विज्ञान विभाग एवं अल्मोड़ा वन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में फारेस्ट फायर बायोडायवर्सिटी एज ए विक्टिम एंड ए वे आउट विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का उद्घाटन जंतु विज्ञान विभाग के सभागार में हुआ। जिसमें वन संरक्षण, जैव विविधता, हिमालयी पर्यावरण, बढते वनाग्नि के आंकड़े, वन्य जंतुओं के नुकसान आदि को लेकर विद्वानों ने मंथन किया।

एसएसजे विवि के जंतु विभाग सभागार में सेमिनार को संबोधित करते हुए कुलपति प्रतिनिधि एवं परिसर निदेशक प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंड में वनाग्नि सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरीं है। वनाग्नि से बहुमूल्य वनस्पति नष्ट हो जाती है। हमें वनाग्नि को रोककर जैवविविधता को बनाए रखना होगा। यहां पर्यावरण से लोगों का अभिन्न नाता रहा है। यहां वनाग्नि को बढ़ावा मिलना चिंताजनक है। गोबिंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय,पंतनगर के प्रो वीर सिंह ने कहा कि जंगल में लगने वाली आग को दार्शनिक रूप से व्याख्यित कर वन संरक्षण की अपील की। उन्होंने कहा कि पौंधे प्रकाश संश्लेषण कर हमें उर्जा प्रदान करते हैं। डीएफओ हिमांशु बघरी ने कहा कि वनाग्नि प्राचीन समय से ही विद्यमान रही है। उत्तराखंड के ऐतिहासिक पुस्तकों में वनाग्नि के आंकड़े हमें दिखाई देते हैं। वनाग्नि से मानव को काफी नुकसान हो रहा है। हमें वनाग्नि को रोकना होगा। सीसीएफ कुमाऊं प्रभाग पीके पात्रो ने कहा कि जंगल की आग को रोक पाना बहुत चुनौतीपूर्ण है। कई बाध्यताओं के कारण वन विभाग वनाग्नि को नहीं बुझा पाता है। हमें नवीन ज्ञान को आधार बनाकर वनाग्नि को रोकने के प्रयास करने होंगे।

इस मौके पर गोबिंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय पंतनगर प्रो वीर सिंह, मुख्य वन संरक्षक, कुमाउं प्रभाग पीके पात्रों, मुख्य वनाधिकारी अल्मोड़ा-बागेश्वर हिमांशु बघरी, एसएसजे परिसर के निदेशक प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट, विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो जया उपे्रती, सेमिनार के संयोजक प्रो अनिल कुमार यादव, सह संयोजक डाॅ संदीप कुमार, डाॅ मुकेश सामंत, डाॅ आरसी मौर्य, डाॅ मनमोहन सिंह कनवाल, शोभा उपे्रती आदि मौजूद रहे।