प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर मोटे अनाज को देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खास पहचान दिलाने की पहल शुरू कर दी गई है.
प्रयागराज संवाददाता सुमित कक्कड़
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर मोटे अनाज को देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खास पहचान दिलाने की पहल शुरू कर दी गई है. इसी क्रम में देश भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में प्रयागराज जनपद में भी मिलेट्स मेले का आयोजन किया जाएगा, जिसमें मोटे अनाज के प्रचार-प्रसार से लेकर उनके स्वाद लोगों को चखाए जाएंगे।
*इसलिए किया जा रहा मोटे अनाज का प्रचार*
मिलेट को हिंदी में मोटा अनाज कहते हैं, जिसमें बाजरा, रागी, ज्वार, कांगनी आदि शामिल हैं. इन मोटे अनाज के अंदर भारी मात्रा में फाइबर, खनिज के साथ कई आवश्यक पोषक तत्व शामिल होते हैं. यह एक ऐसा अनाज है, जिसे खराब मिट्टी और कम वर्षा वाले क्षेत्र में भी उगाया जा सकता है. ऐसे में इनका भारत के उन हिस्सों में भी उत्पादन किया जा सकता है, जहां अन्य फसलों को आसानी से नहीं उगाया जा सकता है. मिलेट्स में भारी मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो कई प्रकार की बीमारियों से लड़ने में भी मदद करते हैं. मिलेट एक सूखा प्रतिरोधी फसल है, जिससे कि किसानों को भी कम नुकसान होगा.
दरअसल, इससे न सिर्फ उपयोग बल्कि उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा। जीवन शैली और खानपान में बदलाव की वजह से डायबिटीज, मोटापा और पेट संबंधी बीमारियां बढ़ी हैं। मोटे अनाजों में कम कैलोरी होती है। यह धीरे-धीरे पचते हैं, इस कारण शुगर और मोटापा नहीं बढ़ता।
मेले के जरिए यह बताया जाएगा कि मोटे अनाज से भी बिस्किट, ब्रेड, रस्क आदि नाश्ते की सामग्री तैयार की जा सकती है. लोगों को रागी, बाजरा आदि जैसे मोटे अनाज में मौजूद प्रोटीन, कार्ब्स, फाइबर, सोडियम के बारे में जानकारी आवश्यक है।
जिसको आज हम मोटा अनाज या मिलेट्स कहते हैं, किसी दौर में यही आहार हुआ करत था. इस दौर में सिंचाई के साधनों का अभाव होता था और वर्षा आधारित खेती होती थी. तब किसान खेतों में मोटे अनाज ही पैदा करते थे. मौजूदा दौर में लोग मोटे अनाज को भूलने लगे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में मोटे अनाज को एक नई पहचान मिल रही है. आज दुनिया समझ रही है कि मोटे अनाज को आहार में शामिल कर निरोगी रहा जा सकता है.