देवी मेले में आयोजित हुए स्थानीय कवि सम्मेलन मुशायरा में हिंदुस्तान में अपने फन का लोहा मनवा चुके शायरों, कवियों और कवित्रियों ने अपने कलाम एवं रचनाओं से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया
देवबंद : देवी मेले में आयोजित हुए स्थानीय कवि सम्मेलन मुशायरा में हिंदुस्तान में अपने फन का लोहा मनवा चुके शायरों, कवियों और कवित्रियों ने अपने कलाम एवं रचनाओं से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया
✍रिर्पोट :- गौरव सिंघल,जिला प्रभारी- न्यूज एवीपी,जनपद सहारनपुर, उप्र:।।
देवबंद (न्यूज एवीपी ब्यूरो)। श्री त्रिपुर माँ बाला सुंदरी देवी मेला में आयोजित हुए स्थानीय कवि सम्मेलन मुशायरा में हिंदुस्तान में अपने फन का लोहा मनवा चुके शायरों, कवियों और कवित्रियों ने अपने कलाम एवं रचनाओं से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ देवबंद के वरिष्ठ समाजसेवी एवं पूर्व सभासद मोहम्मद आकिल ने फीता काटकर किया। शमां रोशन समाजसेवी नज़म हाशमी ने और द्वीप प्रज्ज्वलित समाजसेवी नीरज कंसल ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी नौशाद कुरैशी ने की। कार्यक्रम का संचालन जिगर देवबन्दी ने किया। देर रात तक चले कार्यक्रम का आरम्भ नाते पाक और सरस्वती वंदना से हुआ। शायर चाँद देवबन्दी ने पढ़ा नज़र को मिल गया मेरी तुंहारी दीद का तोहफा – खुदा से और क्या मांगू भला मैं ईद का तोहफा। मोहतरमा सोनिया सोनम अक्स (पानीपत)ने पढ़ा लगता है जैसे घुल गयी लफ़्ज़ों की चाशनी – शैदाई जब से हम हुए उर्दू ज़बान के। उस्ताद शायर और नाज़िम ए मुशायरा जिगर देवबन्दी ने पढ़ा हैं फूल भी हमारे खुशबु भी हमारी है – हिंदी भी हमारी है उर्दू भी हमारी है। राशिद कमाल ने पढ़ा एक मेरी आँख गीता दूसरी कुरआन है – जान से प्यारा हमें ये अपना हिंदुस्तान है। डॉ सलमान दिलकश ने पढ़ा इसी में सुबह गुजारूं इसी में शाम करूँ – तेरे ख्याल से निकलूं तो कोई काम करूँ। मोहतरमा अंजली सिफर (अम्बाला) ने पढ़ा हर इल्म ये दुश्मन को आसाँ है मेरे घर में – हर आग को मज़हब की चिंगारी से बढ़काना। मोहतरमा प्रतिभा प्रीत (गाज़ियाबाद) ने पढ़ा सुकुते शाम से दिल दुःख रहा है कि अब आराम से दिल रहा है – वो जो कल तक सुकुने ज़िन्दगी था अब उसके नाम से दिल दुःख रहा है। मोहतरमा राखी वशिष्ठ (खन्ना लुधियाना) ने पढ़ा राखी सुनाए हाल किसे इस जहान में – दिल को मिले सकून कलमकार हो गए। नफीस अहमद नफीस ने पढ़ा म्यार का अंदाजा कपड़ों से नहीं होता – हालात के मारों को जाहिल ना समझ लेना। नौजवान शायर सुहैल देवबन्दी ने पढ़ा साथ सिगरेट के तेरी याद जला दी मैंने – खाक़ दोनों के बदन की उड़ा दी मैंने। नईम अख्तर ने पढ़ा तेरे दीदार की हसरत में चले आते है – हम ही पागल हैं मोहब्बत में चले आते हैं। ज़ाहिद दिलबर ने पढ़ा जाने किसकी नज़र लग गयी यार को – तोड़ दी प्यार की इसी ने दीवार को। उभरते हुए शायर मिर्ज़ा असजद आलम ने पढ़ा जब कभी जंग होगी अँधेरे से मेरी – लेकर इल्म की शम्मा मै मैदां में उतर जाऊँगा। कार्यक्रम में देवबन्द थाना प्रभारी प्रभाकर कैंतुरा, मोहम्मद आकिल पूर्व सभासद, नीरज कंसल, नौशाद कुरैशी, एड रितेश बंसल, सैय्यद हारिस, डॉ राव आमिर, नज़म हाशमी, दीपक गर्ग, माजिद कुरैशी, साजिद अली, मोहम्मद शौक़ीन, मोहन लाल कोरी, खुशनसीब खान, मुस्तक़ीम मलिक आदि को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर ठाकुर सुरेन्द्रपाल सिंह, अमित धीमान, ज़ीशान नजमी, सुधीर भारद्वाज, नन्दीश भारद्वाज, बलबीर सैनी, अजित कश्यप, आसिफ सागर, मूसा चौधरी, अंकित जैन, साजिद खान, अफ़ज़ाल सिद्दीकी, डॉ शाहनवाज़, तहसीन कुरैशी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में संयोजक इकराम अंसारी ने सभी आंगतुको का आभार व्यक्त किया।