भारतीय योग संस्थान के निशुल्क योग साधना केंद्र ग्रीनलैंड मॉडर्न जूनियर हाई स्कूल मुजफ्फरनगर में मौसम परिवर्तन के कुप्रभाव से बचने के लिए शुद्धि क्रियाएं कराई गई
दिनांक 30 अक्टूबर 2022
*भारतीय योग संस्थान के निशुल्क योग साधना केंद्र ग्रीनलैंड मॉडर्न जूनियर हाई स्कूल मुजफ्फरनगर में मौसम परिवर्तन के कुप्रभाव से बचने के लिए शुद्धि क्रियाएं कराई गई।*
सर्वोत्तम योगाचार्य सुरेंद्र पाल सिंह आर्य ने ओम ध्वनि और गायत्री मंत्र से योग साधना प्रारंभ कराई। योग साधना उपरांत शुद्धि क्रियाओं के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए योगाचार्य सुरेंद्र पाल सिंह आर्य ने बताया कि शुद्धि क्रियाएं षट्कर्म के अंतर्गत आती है। धोती ,बस्ती, नेति,नौली, त्राटक और कपालभाति ये छं होते हैं । शुद्धि क्रियाओं में कुंजल क्रिया व नेती क्रिया आती है। कुंजल क्रिया के करने से वात पित्त और कफ तीनों दांत में सम होती है इससे हमारा शरीर स्वस्थ
रहता है। नेती क्रिया आंख नाक और कान के समस्त दोषों को दूर करने में बहुत सहायक है इसका शास्त्रीय नाम नेती क्रिया है । इसका आधुनिक वैज्ञानिक नाम ईएनटी केयर क्रिया है । इस क्रिया से गले की सफाई होती है अर्थात वाणी से संबंधित जो नारियां हैं वह भी उत्तेजित एवं प्रभावित होती हैं। सर्दी जुकाम के उपचार के लिए इससे बढ़कर कोई सहज एवं उत्कृष्ट उपाय नहीं है। नेति क्रिया के द्वारा नाक के स्लेष्मा में इकट्ठे आउट पनपते वे सभी कीटाणुओं को बाहर
निकाला जाता है। यदि सर्दी नहीं भी हुई हो तो भी नियमित रूप से नेती क्रिया करने से नाक की सफाई होते रहने के कारण उसमें अधिकाधिक दक्षता बनी रहती है और इस प्रकार शरीर को स्वस्थ रखने में ओम सहयोग एवं सहायता मिलती है। नाक बंद रहने पर मुंह से सांस लेने से भीतर जाने वाली वायु का शुद्धिकरण ठीक से नहीं हो पाता तथा अनेक प्रकार के कीटाणु सीधे फेफड़ों में प्रवेश कर जाते हैं और शरीर को कमजोर बना देते हैं।
जिला प्रधान श्री राज सिंह पुंडीर ने कहा कि यदि नाक के भीतर की हड्डी या कोई मांसपेशी बढ़ जाए तो चिकित्सक शल्यक्रिया की सलाह देते हैं बहुत बार यह भी देखा गया है कि इससे रोग का अस्थाई निवारण तो हो जाता है किंतु 5-6 साल बाद वह फिर बढ़ती है और पुन: शल्यक्रिया करानी पड़ती है । यदि श्वसन प्रणाली या सिक्स प्रदेश में इस प्रकार की कोई समस्या हो जाए तो उसके लिए योग में सूत्र नेति का अभ्यास बहुत महत्वपूर्ण है। सूत्र नेती द्वारा दोनों नासिका ओं में उत्पन्न अवरोध दूर किए जाते हैं जिससे प्राण वायु के आगमन में सुविधा होती है।
युवा योग शिक्षक हर्षवर्धन ने कहा कि नेती क्रिया से मस्तिष्क शांत होता है। फल स्वरूप तनाव या सुस्ती दूर होती है मस्तिष्क में उत्तेजना हो या गर्मी हो या मिर्गी की बीमारी हो तो उस अवस्था में भी नेती क्रिया उपयोगी होती है। नेती क्रिया के आध्यात्मिक लाभ में कहा जाता है कि इसके अभ्यास से आज्ञा चक्र की जागृति होती है। आज्ञा चक्र की जागृति के साथ मन जब शांत होता है तब एकाग्रता की अनुभूति होती है और एकाग्रता के पश्चात मनुष्य अपने कर्मों का विश्लेषण सही प्रकार से कर सकता है। कहा जाता है कि नेति क्रिया से तीसरा नेत्र खुल जाता है। इस अवसर पर जिला बार संघ के पूर्व सचिव श्री ओम सिंह तोमर एडवोकेट, श्री अरुण कुमार शर्मा एडवोकेट, यशपाल बरवाला, केंद्र प्रमुख नीरज बंसल, रविंदर धीमान ,सुधीर गर्ग, क्षेत्रीय प्रधान राजीव रघुवंशी आदि साधकों में भी अपने विचार व्यक्त किए।