आयुष्मान कार्ड में सूचीबद्ध हल्द्वानी के निजी अस्पताल ने कार्ड होने के बावजूद मरीज को डरा धमका कर वसूले पैसे,उच्च स्तरीय जांच की मांग को लेकर पूर्व दर्जा मंत्री कर्नाटक ने भेजा मुख्यमंत्री को ज्ञापन,दोषियों पर कार्यवाही न होने पर करेंगे आंदोलन
*आयुष्मान कार्ड में सूचीबद्ध हल्द्वानी के निजी अस्पताल ने कार्ड होने के बावजूद मरीज को डरा धमका कर वसूले पैसे,उच्च स्तरीय जांच की मांग को लेकर पूर्व दर्जा मंत्री कर्नाटक ने भेजा मुख्यमंत्री को ज्ञापन,दोषियों पर कार्यवाही न होने पर करेंगे आंदोलन*
अल्मोड़ा- आज उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व दर्जा मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर हल्द्वानी के उस निजी अस्पताल पर कार्यवाही की मांग की जिसने आयुष्मान कार्ड होने के बाबजूद मरीज से रुपयों की वसूली की तथा मरीज की मृत्यु हो जाने पर बिल भुगतान तक शव भी परिजनों को नही दिया।मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र में श्री कर्नाटक ने कहा है कि अत्यन्त खेद के साथ आपको सूचित करना पड़ रहा है कि उत्तराखंड सरकार द्वारा राज्य के आमजन को बेहतर और मुफ्त चिकित्सा सुविधा देने के लिए जो आयुष्मान कार्ड योजना प्रारंभ की गई है उस योजना को हल्द्वानी के एक निजी चिकित्सालय ने जो कि आयुष्मान योजना में सूचीबद्ध है ने मरीज को आयुष्मान कार्ड का लाभ देने के बजाय उसके परिजनों को डरा धमका कर रूपयों की अवैध वसूली की।इस निजी चिकित्सालय के प्रबंधकों की बेशर्मी का आलम यह रहा कि मरीज को आयुष्मान कार्ड योजना का लाभ न देते हुए अस्पताल प्रबंधन उससे इलाज के लिए रुपयों की मांग करता रहा।अत्यंत खराब आर्थिक स्थिति होने के कारण जब मरीज को रुपयों का प्रबंध करने में कुछ घंटों का समय लगा तो इस निजी अस्पताल ने उसका इलाज शुरू नहीं किया।मरीज के परिजनों के द्वारा रुपया जमा करने के बाद मरीज का इलाज प्रारंभ किया गया लेकिन अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से मरीज की मृत्यु हो गई। तदुपरान भी अस्पताल प्रबंधन ने तीन घंटे तक मरीज के शव को परिजनों को यह कहकर नहीं दिया कि जब तक बकाए बिल का भुगतान नहीं हो जाता शव नही दिया जायेगा।पत्र के माध्यम से श्री कर्नाटक ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि या तो उत्तराखंड सरकार ने आयुष्मान योजना के नाम पर गरीबों के साथ भद्दा मजाक किया है या इन निजी चिकित्सालयों को उत्तराखंड सरकार ने गरीब जनता से अवैध वसूली का लाइसेंस दे रखा है।प्रदेश सरकार द्वारा आयुष्मान कार्ड जनता को यह कहकर दिए गए की इस कार्ड से आमजन का इलाज सरकारी अस्पतालों से लेकर प्राइवेट अस्पतालों तक निःशुल्क होगा।विगत सोमवार 23 मई को अल्मोड़ा के निजी अस्पताल द्वारा कुंदन सिंह रावत को हृदय एवं गुर्दे की बीमारी से पीड़ित होने के कारण हल्द्वानी रेफर किया गया। इस निजी अस्पताल के प्रबंधकों से बात करने के बाद उनके द्वारा कहा गया कि आयुष्मान कार्ड में मरीज का इलाज निःशुल्क हो जाएगा।लेकिन जब उनकी पत्नी अपने गंभीर रूप से बीमार पति को लेकर इस निजी हॉस्पिटल पहुंची तो अस्पताल प्रबंधन द्वारा पहले उनसे यह कहा गया कि डॉक्टर के आने के बाद आयुष्मान कार्ड लागू किया जाएगा।लेकिन तत्काल प्रभाव से उनके मरीज की सात सौ पचास रुपए की पर्ची काटी गई और उनसे कहा गया कि आज मरीज के जितने भी टेस्ट होंगे और जितनी भी दवाइयां आएंगी उनका भुगतान मरीज को करना पड़ेगा।कुंदन एक बेरोजगार एवं लंबे समय से बीमार व्यक्ति था।जिसकी पत्नी के पास भी इलाज के लिए धनराशि नही थी। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा मरीज को अपने व्यक्तिगत संसाधनों से धन राशि उपलब्ध कराई गई।जब तक धनराशि अस्पताल में जमा नहीं की गई तब तक अस्पताल प्रबंधन द्वारा मरीज का इलाज प्रारंभ नही किया गया।रात्रि को जितने भी टेस्ट हुए एवं जितनी भी दवाइयां आई उसका भुगतान इस निजी हॉस्पिटल द्वारा लिया गया।अगले दिन प्रातः 10 बजे कुंदन सिंह रावत का देहावसान हो गया और इस निजी अस्पताल की प्रबंध समिति द्वारा कुंदन सिंह के शव को परिजनों को ये कहते हुए नही दिया गया कि जब तक वे पूरा बिल जमा नहीं कर देते शव नही दिया जायेगा।पहले इस निजी हॉस्पिटल द्वारा चालीस हजार का बिल दिया गया।उन्होंने बताया की उनके द्वारा अस्पताल प्रबंधन से बात करने पर पच्चीस हजार एवं जनप्रतिनिधियों को वहां पर भेज कर बात करने के उपरांत अस्पताल चौदह हजार रुपए पर शव देने को तैयार हुआ। चौदह हजार रुपए की धनराशि देने के पश्चात् इस निजी हॉस्पिटल के द्वारा तीन घंटे के पश्चात् शव परिजनों को दिया गया। उत्तराखंड राज्य की जनता को क्या आयुष्मान कार्ड के द्वारा छला जा रहा है।यह एक सोचनीय विषय है।कुमाऊं के द्वार कहे जाने वाले हल्द्वानी के प्राइवेट अस्पतालों में लूट मची हुई है।गरीब जनता को लूटा जा रहा है।गरीब जनता पर इन प्राइवेट अस्पतालों द्वारा दबाव डालकर,उनके शवों को रोक कर उनको एक प्रकार कर डरा धमका कर उनसे अवैध वसूली की जा रही है।पत्र के माध्यम से कहा गया कि क्या इस राज्य की मातृ शक्ति,युवा वर्ग,कर्मचारियों ने इसलिए मिलकर ये राज्य बनाया था की जहां इस तरह से जनता का उत्पीड़न हो। इस निजी अस्पताल की इस अमानवीय हरकत से प्रदेश सरकार की एक बेहद नकारात्मक छवि जनता के बीच जा रही है।श्री कर्नाटक ने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री से अपील की कि इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की जाए।सरकार द्वारा गरीबों को मुफ्त इलाज दिए जाने की इस योजना पर भी इस निजी हॉस्पिटल के द्वारा गरीब जनता से धनराशि वसूली जा रही है जो की बहुत ही निंदनीय विषय है।यदि पंद्रह दिन के भीतर यदि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर सख्त कार्यवाही नही की गई,अस्पताल प्रबंधन के द्वारा उक्त महिला को उसकी धनराशि वापस नही की गई और अपने कृत्य के लिए माफी नहीं मांगी तो तो वे मजबूरन हल्द्वानी में उक्त प्रकरण पर आंदोलन करने को बाध्य होंगे जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी सरकार एवं प्रशासन की होगी। इसकी प्रतिलिपि भी उनके द्वारा महामहिम राज्यपाल,महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री,अध्यक्ष मानवाधिकार आयोग,गृह मंत्री भारत सरकार,कमिश्नर कुमाऊं एवम नैनीताल के जिलाधिकारी को भेजी गई।