अल्मोड़ा उत्तराखंड का प्रतिष्ठित तीन सितारा युक्त होटल शिखर के मालिक स्वर्गीय जगत सिंह की 89 पुण्यतिथि पर होटल शिखर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया

दिनेश भट्ट रिपोर्टर अल्मोड़ा उत्तराखंड news avp

 

अल्मोड़ा उत्तराखंड का प्रतिष्ठित तीन सितारा युक्त होटल शिखर के मालिक स्वर्गीय जगत सिंह की 89 पुण्यतिथि पर होटल शिखर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

जगत सिंह बिष्ट ने सुंदूर ग्रामीण आंचल से निकल कर जो मुकाम बनाया वो हमेशा पहाड़ के लोगों को प्रेरणा देता रहेगा।‌ रोजगार की तलाश में वे डाबर इंडिया लिमिटेड से जुड़े और लंबे समय तक उन्होंने अपनी सेवाएं दी । पहाड़ के प्रति उनका प्रेम उन्हें अल्मोड़ा ले आया जहां उन्होंने डाबर की एजेंसी शुरु कर लोगों को‌ सेवाऐं देना आरंभ किया । डाबर के सभी उत्पादनों के साथ जरूरत मदों की दवाओ को उन्होंने दुरुस्त स्थानों पर पहुंचाया। उस दौर में जब पहाड़ में आवागमन की भारी दिक्कतें थी ‌ कुमाऊं मोटर्स ‌ आनर्श‌ लिमिटेड की बसें बहुत कम थी जोक बसे थी वे भी अत्यंत खस्ता हालत मे थी‌ तब उन्होंने टाइगर नाम से सन् 1982 में एल .‌पी बसों के.एम .यू लिमिटेड के बेड़े में बसों‌‌ को शामिल किया। बिष्ट जी अपने अधीनस्थों से अघात प्रेम करते थे। ‌ इस बात का उदाहरण है कि एक बार अपने प्रिय कर्मचारी की दुर्घटना होने पर उन्होंने बसों के संचालन का कार्य छोड़ दिया। बिष्ट जी को देशाटन‌ का‌ बहुत गहरा अनुभव था ‌ उन्हें महसूस हुआ कि अल्मोड़ा में एक सुविधाजनक अत्याधुनिक होटल की आवश्यकता है। ‌ जिससे पहाड़ में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मिल सके। और अल्मोड़ा में पर्यटन का विकास हो। ‌ इसी सपने को लेकर उन्होंने एक सुविधा संपन्न होटल बनाने का संकल्प लिया। अपने संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने माल रोड में होटल शिखर की नींव सन् 1987‌ में रखी । होटल‌ को बनाने में उन्होंने भी रात -दिन एक कर दिया ।‌ नींव भरने से लेकर होटल के कमरों की सजावट तक सभी कार्य की कमान उन्होंने खुश संभाली । सन् 1989 में उनका सपना साकार हुआ। होटल सीखर‌ पहाड़ी क्षेत्रों का पहला ऐसा होटल था जिसमें सबसे पहले लिफ्ट लगी, विभिन्न आयोजनों के हेतु शानदार सभागार और विस्तारा तथा होटल परिसर में व्यवसायिक प्रतिष्ठान उनकी कुशाग्र बुद्धि की ही देन थी ‌ उन्हें तत्कालीन समय में होटल व्यवसाय के जनक के रूप में जाना गया। उन्होंने दानपुर भवन का निर्माण किया। इसमें भवन के बाहर से हाथी बनाया गया । दूर‌ दराज से लोग यहां हाथी को देखने आने लगे ग्रामीण क्षेत्रों में यह हाथी भवन के नाम से भी जाना जाने लगा। खुशमिजाज विकासोन्मुख ‌ पृवृत्ति के धनी स्वर्गीय बिष्ट को अल्मोड़ा में पहले पहल कुछ नया कर गुजरने की चाह सदा रहती थी अभी वे सन 1995 में थ्री व्हीलर लेकर आए यह टैम्पो यहां कौतूहल का विषय रहा। नित्य मधुमक्खियों की तरह ‌ अपनी धुन में लगे रहने वाले स्वर्गीय बिष्ट जी प्रात काल नहा धोकर पूजा पाठ के बाद ठीक 8 बजे व्यवसायिक स्थल को रवाना होती थे । उन्होंने कई परिवारों को रोजगार दिया। उनके द्वारा स्थापित व्यवसाय से आज भी कई परिवार जुड़े हुए हैं। जगत सिंह बिष्ट जी के कामों का मान रखते हुए सरकार ने होटल भी मैनेजमेंट संस्थान का नाम उनके नाम से रखा है। जगत सिंह बिष्ट जी की पुण्यतिथि में पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेश के हरीश रावत पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कांग्रेस से गोविंद सिंह कुंजवाल केंद्रीय मंत्री प्रदीप टम्टा पूर्व विधायक अल्मोड़ा बीजेपी से कैलाश शर्मा। अल्मोड़ा विश्वविद्यालय के कुलपति जगत सिंह बिष्ट अल्मोड़ा के वर्तमान विधायक मनोज तिवारी भी शामिल हुए।