सुर सम्राट स्व० गोपाल बाबू गोस्वामी की जयन्ती पर आयोजित कार्यक्रम का द्वीप प्रज्जविलत कर पूर्व दर्जामंत्री कर्नाटक ने किया शुभारम्भ

*सुर सम्राट स्व० गोपाल बाबू गोस्वामी की जयन्ती पर आयोजित कार्यक्रम का द्वीप प्रज्जविलत कर पूर्व दर्जामंत्री कर्नाटक ने किया शुभारम्भ*

अल्मोड़ा-सुर सम्राट स्वर्गीय गोपाल बाबू गोस्वामी की जयन्ती पर आज सायं रैमजे इण्टर कालेज में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ उत्तराखण्ड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं पूर्व दर्जामंत्री बिट्टू कर्नाटक ने द्वीप प्रज्जविलत कर किया।इस अवसर पर श्री कर्नाटक ने कहा कि स्व० गोपाल बाबू गोस्वामी द्वारा गाये गये गीत आज भी लोकप्रियता के शिखर पर सूर्य की भांति संगीत की दुनियाँ में रोशन है।

उनके पुत्र आशीर्वाद गोस्वामी व अमित गोस्वामी ने बताया कि उनके स्व० पिता का जन्मोत्सव हर वर्ष उनकी मधुर स्मृति में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। कोरोना काल में आये अवरोध के चलते पिछले वर्षों में यह कार्यक्रम नहीं हो सका लेकिन इस वर्ष मधुर स्मृति में कार्यक्रम आयोजित किया गया है।श्री कर्नाटक ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि स्वर्गीय श्री गोपाल बाबू गोस्वामी संगीत की दुनिया की एक ऐसे विलक्षण विराट हस्ती रहे जिसका कोई जबाब नही।उनके द्वारा गाये गए गीत आज भी लोकप्रियता की ऊंचाइयों में सूर्य की भांति प्रकाशमान है। उनके मधुर कंठ का कोई जवाब नहीं था। आज भी जब लोग उनके द्वारा गाये गये गीतों को सुनते हैं तो उन्हें एक अनूठे आनन्द की प्राप्ति होती है।उनके गाये गाने घुघूती ना बांसा,कैलै बजै मुरूली,हाई तेरी रुमाला,जै मय्या दुगाँ भवानी बेहद लोकप्रिय रहे। उन्होनें सैकडो गीत गाकर पर्वतीय संस्कृति को नई ऊंचाईयाँ प्रदान की।लगभग पांच सौ से अधिक गीत गाकर उन्होने पर्वतीय लोक गीतों की जो ध्वज पताका फहराई उसका कोई जबाब नही। स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी एक लोकगायक होने के के साथ-साथ लेखक, उद्घोषक,निबंधकार, रचनाकार, साहित्यकार भी थे। उनकी शब्दों में जबरदस्त पकड़ थी जिस दौर में उन्होनें गीतों की शुरुवात की वह दौर जटिल दौर था। क्योकि आधुनिक समय के हिसाब से संचार तकनीकी की दृष्टि से उस दौर में आज के जैसै साधन नही थे फिर भी उनके गीत चारों ओर गूंजते रहे तथा उत्तराखण्ड को विशेष पहचान दिलायी। उनके द्वारा गाये गये गीत लोगों के हृदय पटल छाये रहे।उन्होंने जन सरोकारों से जुड़े मुद्दों को अपने स्वर देकर अनेक लोक प्रिय गीतों की रचना की उनके प्रसिद्ध गीतों में कैले बाजे मुरुली,हाय तेरी रुमाला, बेडू पाको बारो मासा, घुघुती ना बासा, हिमालय को ऊंचा डाना, काली गंगा को कैलो पाणि, जय मैया दुर्गा भवानी,ओ भिना कसिके जानू द्वारहाटा रूपसा रमोती जैसे कर्ण प्रिय गीत आज भी सदाबहार है।कार्यक्रम में स्व० गोपाल बाबू गोस्वामी के पुत्र आर्शीवाद गोस्वामी,अमित गोस्वामी, पुत्रवधू चन्द्रा गोस्वामी, कांग्रेस की जिला महासचिव गीता मेहरा, सेवानिवृत्त अभियन्ता गोविन्द मेहरा, वरिष्ठ कलाकार रमेश लाल, चन्द्रशेखर आर्या,अनिल सनवाल, मनमोहन चौधरी,अमर बोरा,रोहित शैली, ललित जोशी सहित दर्जनों कलाकार एवं जनता उपस्थित रही। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ रंगकर्मी गोपाल चम्याल ने किया।