अपने आप को जानना ही योग है। उक्त विचार भारतीय योग संस्थान के प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य योगाचार्य सुरेंद्र पाल सिंह आर्य ने ग्रीनलैंड मॉडर्न जूनियर स्कूल मुजफ्फरनगर में चल रहे किशोर बालक एवं बालिका चरित्र निर्माण योग शिविर में व्यक्त किए

अपने आप को जानना ही योग है। उक्त विचार भारतीय योग संस्थान के प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य योगाचार्य सुरेंद्र पाल सिंह आर्य ने ग्रीनलैंड मॉडर्न जूनियर स्कूल मुजफ्फरनगर में चल रहे किशोर बालक एवं बालिका चरित्र निर्माण योग शिविर में व्यक्त किए।

 

उन्होंने बताया कि नियम का पालन करने से व्यक्ति का अपना स्वयं का लाभ होता है। नियम का चौथा भाग स्वाध्याय के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि स्वाध्याय का अर्थ क्या है अपना खुद का अध्ययन करना अर्थात अपने आप को जानना। मानव परवर्ती है कि वह सदैव दूसरों के अवगुण ढूंढता रहता है तथा अपने अवगुण ढूंढने का प्रयास नहीं करता। जब व्यक्ति स्वाध्याय करता है अर्थात अपने अंदर झांककर देखता है तो उसे अपनी बुराई और अच्छाई सब कुछ दिखाई देता है।

जब व्यक्ति को अपने अंदर बुराई दिखती है तो वह उस बुराई को छोडने की कोशिश करता है और वह एक नेक इंसान बन जाता है। दूसरे अर्थों में स्वाध्याय का अर्थ है, आर्ष ग्रंथों यथा वेद, उपनिषदों का अध्ययन करना। स्वाध्याय करने वाला व्यक्ति कभी भी किसी का अहित नहीं कर सकता अर्थात स्वाध्याय करने वाला व्यक्ति सदैव परोपकार ,परहित ,समाज सेवा, राष्ट्र सेवा आदि यज्ञीय कार्य ही करता है। इस अवसर पर प्रतिदिन काफी संख्या में नगर क्षेत्र तथा ग्रामीण अंचल से बच्चे शिविर में आकर स्वास्थ्य के साथ-साथ अपनी आदतों में परिवर्तन करके एक सुंदर जीवन जीने की कला सीख रहे हैं।

 

सभी बच्चे प्रातः काल उठकर अपने माता-पिता के चरण स्पर्श करके उषा पान करने के बाद दैनिक कार्यों से निवृत होकर स्नान आदि करके प्रतिदिन योग साधना में दिन प्रतिदिन उन्नति कर रहे हैं । योगाचार्य सुरेंद्र पाल सिंह आर्य ने इस अवसर पर उन अभिभावकों को भी धन्यवाद दिया जो अपने बच्चों को प्रतिदिन निशुल्क चरित्र निर्माण योग शिविर में भेज रहे हैं।