सातवीं पुण्यतिथि पर याद किए गए मशहूर लेखक, पत्रकार और पर्यावरणविद् अरूण कुमार पानीबाबा

सातवीं पुण्यतिथि पर याद किए गए मशहूर लेखक, पत्रकार और पर्यावरणविद् अरूण कुमार पानीबाबा

स्थानीयता एक वार्ता पुस्तक का हुआ विमोचन

✍रिर्पोट : सुरेंद्र सिंघल, वरिष्ठ पत्रकार.

नई दिल्ली (न्यूज एवीपी)। देश के जाने- माने पत्रकार, लेखक और पर्यावरणविद् अरूण कुमार पानीबाबा को उनकी 7 वीं पुण्यतिथि पर अनूठे तरीके से याद किया गया। नई दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में बुद्ध पूर्णिमा की रात आयोजित कार्यक्रम में गांधीवादी, लोहियावादी और बुद्धिजीवी, प्रोफेसर अरूण कुमार पानीबाबा के परिजन और साथीगण अच्छी-खासी संख्या में मौजूद थे। उनकी पत्नी पूर्णिमा अरूण सिंघल द्वारा संपादित पुस्तक स्थानीयता एक वार्ता का विमोचन किया गया और अरूण कुमार पानीबाबा के व्यक्तित्व और कार्यों को याद किया गया। पानीबाबा फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ पर्यावरणविद् कन्हैया लाल गुर्जर और लोक विज्ञान के धनीराम गुर्जर के पुत्र रामेश्वर ने द्वीप प्रज्जवलित कर किया। कौशल्या के भजन-गायन के बाद फाउंडेशन की संयोजक और पुस्तक की संपादिका एवं अरूण कुमार पानीबाबा की पत्नी पूर्णिमा ने मंच संभाला और बताया कि 9 मई 2016 को अरूण कुमार का देहावसान हुआ था। उन्होंने उनके विचारों और पानी एवं पर्यावरण पर किए गए कार्यों को स्थानीयता एक वार्ता पुस्तक में लिपिबद्ध किया है। इस पुस्तक का विमोचन जेएनयू की प्रोफेसर रितू प्रिया एवं डा. ओंकार मित्तल, पूर्णिमा अरूण, कन्हैया लाल गुर्जर, रामेश्वर गुर्जर ने किया। डा. मित्तल और प्रोफेसर रितू प्रिया ने पुस्तक के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि अरूण कुमार की सोच और उनके काम देश और समाज के दीर्घकालिक उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं और समसामयिक है। अरूण कुमार पानीबाबा के करीबियों में शामिल रहे वक्ताओं ने कहा कि अरूण कुमार ने पुराने परिवेष को जानने और उसके संदर्भ में नए परिवेष को समझकर अपनी वर्तमान दुविधाओं से मुक्त होने का नजरिया दिया। उनके व्याख्यान में विविधता, लोक विज्ञान, सांस्कृतिक गैर बराबरी, विकेंद्रियकरण और निजता बनाम व्यक्तिवाद आदि महत्वपूर्ण विचारणीय मुद्दे शामिल हैं। पूर्णिमा अरूण ने कहा कि आज से 22 वर्ष पूर्व उत्तराखंड के कोसानी स्थित लक्ष्मी आश्रम में सिद्ध संस्था कार्यशाला आयोजित की गई थी। जिसमें अरूण कुमार पानीबाबा ने स्थानीय युवा समूह से सात दिन वार्तालाप किया। उसी व्याख्यान माला को पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसमें युवा जगत की जिज्ञासाओं और दुविधाओं के निराकरण का प्रयास किया गया है। समारोह में प्रख्यात बुद्धिजीवी आशीष नंदी, विजय प्रताप, प्रख्यात समाजवादी नेता और पूर्व सांसद सुरेंद्र मोहन की पत्नी मंजू मोहन, प्रख्यात गांधीवादी एवं पर्यावरणविद् और लेखक अनुपम मिश्र की पत्नी मंजू मिश्र, गांधीवादी रमेश चंद्र पारंपरिक प्रसव विशेषज्ञ डा. नूतन पंडि़त, सेवानिवृत्त आईपीएस एवं कुलपति डा. अशोक कुमार राघव, जनसत्ता के प्रधान संपादक रहे प्रभाष जोशी के पुत्र सोपान जोशी, वरिष्ठ पत्रकार और लेखक सुरेंद्र सिंघल समेत करीब 200 मूर्धन्य शख्सियत शामिल रही। अरूण कुमार पानीबाबा के बेटे वेंकट राम ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। अध्यक्षता एवं संचालन पूर्णिमा अरूण ने किया।